तीनों गणों में सर्वश्रेष्ठ
ज्योतिषशास्त्र में मनुष्य को तीन गणों में बांटा गया है – देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण। तीनों गणों में सर्वश्रेष्ठ गण ‘देव’ को माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार देव गण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव में देवों के समान गुण होते हैं। ये व्यक्ति देवताओं के समान गुणों के साथ ही जन्म लेते हैं।
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देव गण वाले जातक के गुण
देवगण में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार, बुद्धिमान, साहसी, अल्पाहारी और दान-पुण्य करने वाले होते हैं। देव गण के जातक सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं। इनका दिमाग काफी तेज होता है अर्थात् यह बुद्धिमान होते हैं। ये जातक स्वभाव से सरल और सीधे होते हैं। दूसरों के प्रति दया का भाव रखना और दूसरों की सहायता करना इन्हें अच्छा लगता है। जरूरतमंदों की मदद करने के लिए इस गण वाले जातक तत्पर रहते हैं।
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इन नक्षत्रों में बनता है ‘देव गण’
अश्विनी, मृगशिरा, पुर्नवासु, पुष्य, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती।
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किस गण से हो विवाह
विवाह के समय मिलान करते हुए ज्योतिषाचार्य गणों का मिलान भी करते हैं। गणों का सही मिलान होने पर दांपत्य जीवन में सुख और आनंद बना रहता है। देखिए किस गण के साथ उचित होता है मिलान -:
– वर – कन्या का समान गण होने पर दोनों के मध्य उत्तम सामंजस्य बनता है।
– वर – कन्या देव गण के हों तो वैवाहिक जीवन संतोषप्रद होता है।
– वर – कन्या के देव गण और राक्षस गण होने पर दोनों के बीच सामंजस्य न्यून रहता है और उनके मध्य पारस्परिक टकराव की स्थिति बनी रहती है।
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