सुनफा-अनफा योग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में शुभ योगों के बनने से जातक को विशेष फल की प्राप्ति होती है और उसे उसके प्रयासों में सफलता हासिल होती है। कुंडली में चंद्रमा की मजबूती सबसे ज्यादा मायने रखती है क्योंकि इसी से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कुंडली में चंद्रमा की ही स्थिति पर निर्भर करता है सुनफा-अनफा योग। माना जाता है कि इन दोनों योग में से किसी भी एक योग से शुभ फल पाने के लिए कुंडली में चंद्रमा का मजबूत होना अनिवार्य है।
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क्या है सुनफा योग
जन्मकुंडली में चंद्रमा से अगले भाव में सूर्य ग्रह को छोड़कर अन्य किसी भी ग्रह की उपस्थिति को सुनफा योग कहा जाता है। किंतु सुनफा योग बनने के लिए चंद्रमा से अगले भाव में स्थित जो ग्रह है उसका शुभ प्रभाव में होना जरूरी है।
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कुंडली में सुनफा योग
कुंडली में सुनफा योग बनने पर जातक को अपने हर कार्य में सफलता मिलती है और धन का लाभ होता है। चंद्रमा और उससे अगले भाव में स्थित ग्रह के क्षीण होने पर सुनफा योग नहीं बनेगा।
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क्या है अनफा योग
किसी भी कुंडली में चंद्रमा से पिछले भाव में सूर्य के अतिरिक्त कोई अन्य ग्रह विराजमान हो तो, ऐसी स्थिति में अनफा योग बनता है। किंतु ध्यान रहे अनफा योग बनने के लिए चंद्रमा और अन्य ग्रह का मजबूत होना अति आवश्यक है।
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शुभ फल की प्राप्ति
इन ग्रहों की क्षीण स्थिति में जातक को शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। कुंडली में अनफा योग के बनने पर जातक को उत्तम स्वास्थ्य, मान-सम्मान और प्रसिद्धि मिलती है अथवा अध्यात्म में रूचि बढ़ती है।
ध्यान रहे दोनों योगों के शुभ फलों में चन्द्रमा के बल तथा स्थिति के आधार पर बहुत अंतर आ सकता है।
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