केपी पद्धति के अनुसार किसी जातक का प्रेम विवाह संभव है या नहीं, यह जानने के लिए कुंडली में पांचवें और सातवें भाव के उपनक्षत्र स्वामी का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के आंकलन हेतु जन्मकुंडली के स्थान पर प्रश्न कुंडली का अध्ययन करना उचित होता है।
कुंडली का पांचवां भाव प्रेम का कारक है तो वहीं सातवां भाव कानूनी समझौते का भाव है। इन दोनों भावों के किसी भी रूप में संबंध होने पर प्रेम विवाह की संभावना रहती है। इस कार्य के लिए अत्यधिक अनुभव और अवलोकन की आवश्यकता होती है। मेरी धारणा के अनुसार नकारात्मक भावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। हमेशा भाव से संबंधित मामलों में नकारात्मक घरों का बुरा असर नहीं पड़ता। उदाहरणार्थ : बारहवां घर संबंधों में अलगाव का कारक है लेकिन विवाह के मामले में ये शारीरिक सुख प्रदाता है। अत: ऐसी स्थिति में विश्लेषण कर पाना थोड़ा कठिन हो जाता है। मेरा ऐसा विचार है कि नक्षत्र के स्तर पर ये भाव बहुत खराब नहीं होते किन्तु उपनक्षत्र स्तर पर स्थिति चिंताजनक हो जाती है।
क्या आपका प्रेम संबंध विवाह तक पहुंच पाएगा ? प्रश्न कुंडली के आधार पर मेरे पास 98 नंबर आया।
इस कुंडली में 5-7-11 का उपस्वामी बृहस्पति है। वह सूर्य के नक्षत्र में लग्न भाव में बैठा है और चंद्रमा उपनक्षत्र में है। यह दोनों ही ग्यारहवें भाव में विराजमान हैं। अत: इस जातक के विवाह से संबंधित सपने पूरे होने की संभावना है। किंतु यहां हमें चंद्रमा की स्थिति पर भी ध्यान देने की जरूरत है। चंद्रमा ग्यारहवें भाव में है जो कि शुभ स्थान है लेकिन वह शनि के नक्षत्र में है जो कि 6-7 घर का स्वामी है। जैसा कि पहले भी बताया कि 6-12 घर के उपनक्षत्र स्तर का ध्यान से विश्लेषण करने की जरूरत होती है। चंद्रमा के शनि के साथ संबंध होने पर पुनर्फू का निर्माण होता है जिससे कई तरह की कठिनाईयां उत्पन्न होती हैं।
यहां पर शनि वक्री है जिस कारण वह छठे घर से संबंधित मामलों को लेकर अक्षम दिख रहा है।केतु जोकि शनि का प्रतिनिधित्व कर रहा है वह १-५-८ भाव का कार्येष गृह है जो की विरोधी के २-७-११ भाव हैं |
क्या यह जातक के विरोधी से विवाह या शादी की विफलता का संकेतक है? छठे भाव के सभी सिग्निफिकेटर उप नक्षत्र स्तर पर सातवें और ग्यारहवें भाव से जुड़े हैं। अंतत: अंतिम समय तक जातक के विवाह को लेकर संदेह की स्थिति बनी रहेगी और आखिरकार उसकी विवाह की आकांक्षा पूरी होगी। छठे भाव का उप स्वामी केतु है, 5-7-11 घर का उपस्वामी बृहस्पति इसका प्रबल प्रतिनिधित्व कर रहा है। अत: यहां जातक के लिए सकारात्मक संकेत मिलते हैं।
जुलाई और दिसंबर 2017 में विवाह के योग बन रहे हैं। नवंबर के महीने के दौरान शनि-शुक्र-बृहस्पति का समय अति उत्तम रहेगा। शनि, गुरु के उपनक्षत्र, शुक्र स्व उपनक्षत्र में है किंतु उसका नक्षत्र स्वामी केतु सातवें घर में विराजमान है। अंतत: सभी महत्वपूर्ण भावों का उपस्वामी बृहस्पति है। यहां पर अंतिम समय तक संदेह की स्थिति रहने की संभावना है।
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