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काल भैरव अष्‍टमी के दिन इस तरह दूर हो सकती है जीवन की हर समस्‍या

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अगहन मास की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को काल भैरव अष्‍टमी मनाई जाती है। मान्‍यता है कि इस दिन काल भैरव का जन्‍म हुआ था। शिव पुराण में उल्लिखित है कि काल भैरव भगवान शिव के अवतार थे।

संसार में काल भैरव को भगवान शिव के दूसरे रूप में पूजा जाता है। इस बार काल भैरव अष्‍टमी 10 नवबंर को शुक्रवार के दिन है। इस शुभ दिन पर काल भैरव की पूजा करने से नेगेटिव एनर्जी, जादू-टोने, भूत-प्रेत आदि के डर से मुक्‍ति मिल जाती है।

कैसे हुआ कालभैरव का जन्‍म

पुराणों में कालभैरव के जन्‍म की बड़ी ही रोचक कथा है। शिव पुराण के अनुसार एक बार सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी और भगवान विष्‍णु से पूछा कि संसार में सबसे ज्‍यादा श्रेष्‍ठ कौन है। तब स्‍वयं को श्रेष्‍ठ साबित करने के लिए ब्रह्मा जी और विष्‍णु जी के बीच युद्ध हो गया।

इसके बाद सभी देवताओं ने वेदशास्‍त्रों से पूछा कि संसार में सबसे श्रेष्‍ठ कौन है। तो उन्‍हें उत्तर मिला कि जिनके भीतर चराचर जगत, भूत, भविष्‍य और वर्तमान समाया हुआ है अनादि अनंत और अविनाशी तो भगवान रुद्र ही हैं।

वेदशास्‍त्रों का यह उत्तर सुनकर ब्रह्मा जी अपने पांचवे मुख से भगवान शिव के बारे में अपशब्‍द कहने लगे। ये सब सुनकर वेद दुखी हो गए। उस समय एक दिव्‍यज्‍योति के रूप में भगवान रुद्र प्रकट हुए।

इसे देखकर ब्रह्मा जी ने कहा हे रुद्र तुम मेरे मुख से ही पैदा हुए हो, अधिक रुदन करने के कारण मैंने ही तुम्‍हारा नाम रुद्र रखा है। तुम मेरी सेवा में आ जाओ।

शिव का क्रोध

इस बात पर भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्‍होंने अपनी शक्‍ति से भैरव को उत्‍पन्‍न कर कहा कि तुम ब्रह्मा पर शासन करो। उस दिव्‍य शक्‍ति भैरव ने अपने बाएं हाथ की सबसे छोटी अंगुली के नाखून से शिव के प्रति अपमान जनक शब्‍द कहने वाले ब्रहृमा जी के पांचवे मुख को ही काट दिया।

इसके बाद काल भैरव ब्रह्म हत्‍या के पाप से मुक्‍ति पाने के लिए काशी आए। रुद्र ने इन्‍हें काशी का कोतवाल नियुक्‍त किया। आज भी काशी में काल भैरव को कोतवाल के रूप में पूजा जाता है। इनके दर्शन किए बिना विश्‍वनाथ के दर्शन करना अधूरा माना जाता है।

तो कुछ इस तरह से हुआ था काल भैरव का जन्‍म।

कालभैरव अष्‍टमी के दिन कुछ उपाय करके आप अपने जीवन के कष्‍टों से मुक्‍ति पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि काल भैरव अष्‍टमी के दिन किस समस्‍या के निदान के लिए क्‍या उपाय करना चाहिए।

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काल भैरव अष्‍टमी पर सुख-संपत्ति की कामना

इस दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करने के बाद कुश के आसन पर बैठ जाएं। भगवान काल भैरव की प्रतिमा के आगे पंचोपचार से पूजा करें। अब रुद्राक्ष की माला से ‘ऊं हं षं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:’ मंत्र का पांच माला जाप करें। मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

सभी समस्‍याओं से मुक्‍ति का उपाय

काल भैरव अष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान के बाद कालभैरव की विधिवत पूजा करें। शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं और अपनी समस्‍याओं के निवारण हेतु प्रार्थना करें।

कर्ज से मुक्‍ति

कर्ज से मुक्‍ति पाने के लिए काल भैरव अष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान कर शिवालय जाएं और वहां शिवलिंग पर बिल्‍वपत्र अर्पित करें। शिवलिंग के सामने आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से ‘ऊं ऋण्‍मुक्‍तेश्‍वर नम:’ मंत्र का जाप करें।

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काल भैरव अष्‍टमी पर दान करें

काल भैरव अष्‍टमी के दिन भगवान काल भैरव को सवा किलो जलेबी चढ़ाएं और इसे गरीबों में प्रसाद के रूप में बांट दें। पांच नीबू पांच गुरुवार तक भैरव जी को अर्पित करें। किसी गरीब को कंबल दान करें।

किसी भी जानकारी के लिए Call करें : 8882540540

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