माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने का भी विधान है। इस बार तिल चतुर्थी का व्रत 5 जनवरी यानि शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।
इस व्रत को करने से घर-परिवार पर आई मुश्किल दूर हो जाती है। अगर लंबे समय से कोई मांगलिक कार्य नहीं हो रहा है तो इस व्रत के प्रभाव से वो भी संपन्न हो जाता है। इस पावन दिन पर कथा सुनने और पढ़ने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल एवं तिलकूट चतुर्थी भी कहा जाता है।
तिल चतुर्थी व्रत का महत्व
अगर आप हर महीने की चतुर्थी पर व्रत नहीं कर सकते हैं तो केवल तिल चतुर्थी का व्रत कर लें। इस व्रत से सभी व्रतों जितना फल मिल जाता है। इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी व्रत रख सकती हैं।
तिल चतुर्थी की व्रत विधि
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजन स्थल में आसन ग्रहण करें। पूजन के दौरान गणेश को धूप एवं दीप दें। अब गणेश जी को फल, फूल, चावल, रोली, मोली चढ़ाएं और पंचामृत से स्नान करवाएं।
गणेश जी को तिल से बनी चीज़ें या तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाएं। पूजन के दौरान पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें। 108 बार ‘ऊं श्री गणेशाय नम:’ मंत्र का जाप करें। शाम को कथा सुनने के बाद गणेश जी की आरती करें। चंद्रमा के उदय होने के बाद पंचोपचार से पूजा करें।
तिल चतुर्थी व्रत का लाभ
- इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
- गणेश जी की कृपा से दांपत्य सुख भी मिलता है। अगर कोई सुहागिन महिला इस व्रत को रखती है तो उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- तिल चतुर्थी का व्रत रखने से घर-परिवार में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
- महिलाओं के ये व्रत करने से परिवार क सदस्यों को अपने करियर और व्यापार में तरक्की मिलती है और घर में बरकत आती है।
- धन संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए भी ये व्रत उत्तम माना जाता है। कर्ज या आर्थिक तंगी से परेशान लोगों को ये व्रत जरूर रखना चाहिए।
तिल चतुर्थी के दिन क्यों करें दान
हर शुभ दिन पर दान विशेष महत्व होता है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े, कंबल आदि का दान करें। इसके अलावा इस चतुर्थी पर तिल, गुड़ या अन्य किसी मिठाई का दान करना भी लाभकारी रहता है। किसी गणेश मंदिर में जाकर पुजारी जी को भोजन करवाएं।
चंद्रोदय का समय
तिल चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय 5 जनवरी, शुक्रवार को रात 9.30 बजे होगा। इस दिन अथर्वशीर्ष के पाठ के साथ गणेश मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र है – ऊं श्री गणेशाय नम:।।
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