भारत के खास त्योहारों में से एक है मकर संक्रांति का पर्व। हिंदू धर्म का ये खास त्योहार हर साल जनवरी के महीने में 13 या 14 तारीख को मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है। पंरपराओं में ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव इसी दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं। 2018 के माघ में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगें।
70 साल बाद पड़ रहा है ये योग
70 साल बाद ऐसी मकर संक्रांति आ रही है जोकि पारिजात योग में है और रविवार, त्रयोदशी तिथि में पड़ने की वजह से इस दिन सिद्धि योग बन रहा है। गुरु का मंगल के साथ तुला राशि में रहने से पारिजात योग बन रहा है।
इस शुभ दिन पर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। गुल-तिल, रेवड़ी और गजक का प्रसाद बांटने की भी रीति है। यह त्योहार मुख्य रूप से ऋतु परिवर्तन, प्रकृति और खेती से जुड़ा हुआ है एवं इन्हीं तीनों चीज़ों को जीवन का आधार भी माना गया है। प्रकृति में परिवर्तन के आधार पर इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है और सूर्य की स्थिति के अनुसार ही ऋतुओं में बदलाव होता है और धरती अनाज पैदा करती है।
कब मनाते हैं मकर संक्रांति
80 वर्ष पूर्व 12 सा 13 तारीख को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता था लेकिन अब अयनचलन के कारण 13 या 14 जनवरी को ये त्योहार मनाया जाता है। पिछले साल 2017 में भी ये त्योहार 14 जनवरी को मनाया गया था। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं और खरमास समाप्त हो जाते हैं। इस खरमास के काल में कोई मांगलिक काम करना वर्जित है।
15 जनवरी को है पुण्य काल
इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा लेकिन इसका पुण्यकाल 15 जनवरी को होगा। मकर संक्रांति का विशेष पुण्यकाल 14 जनवरी, 2018 को रात को 8 बजकर 5 मिनट से 15 जनवरी 2018 को दिन के 12 बजे तक रहेगा।
साल 2018, विक्रम संवत् 2074 में संक्रांति का वाहन महिष और उपवाहन ऊंट रहेगा। इस साल संक्रांति काले वस्त्र व मृगचर्म की कंचुकी धारण किए, नीले आक के फूलों की माला पहने, नीलमणि के आभूषण धारण किए, हाथ में तोमर आयुष लिए, दही का भक्षण करती हुई दक्षिण दिशा की ओर जाती हुई रहेगी।
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मकर संक्रांति का महत्व
ज्योतिष में दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि और उत्तरायण को देवताओं का दिन माना गया है। रात्रि नकारात्मकता और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध और तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होगी। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर दान करने से सौ गुना बढ़कर फल मिलता है। इस दिन शुद्ध घी और कंबल का दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रातें छोटी और दिन हो जाते हैं बड़े
मकर संक्रांति के बाद से सबसे बड़ा बदलाव आता है कि इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े हो जाते हैं। इस दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर आना शुरु हो जाता है इसलिए इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। गर्मी के मौसम की शुरुआत भी यहीं से होती है। दिन के बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक समय तक रहती है और रात छोटी होने से कम समय तक अंधकार रहता है। इस कारण मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
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