ज्योतिषशास्त्र में नक्षत्रो और ग्रहों की स्थिति के आधार पर जन्मकुंडली का निर्माण किया जाता है। ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है, इनमें से कुछ नक्षत्र शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ माने जाते हैं। इन अशुभ नक्षत्रों को गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है। जो व्यक्ति गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेता है उसे अपने जीवन में कई कष्ट झेलने पड़ते हैं।
गंडमूल दोष में आने वाले नक्षत्र
इस दोष में आने वाले अशुभ नक्षत्रों में अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती शामिल हैं। इन नक्षत्रों में जन्म लेना अशुभ माना गया है।
गंडमूल दोष के प्रभाव
इस दोष में जन्म लेने वाले व्यक्ति का जीवन संघषों से भरा होता है। ये ना केवल अपने लिए बल्कि अपने परिवार के लिए भी परेशानी बन जाते हैं। इनके कारण इनके पिता को कष्ट सहना पड़ता है।
शुभ फल भी मिलता है
ऐसा नहीं है कि गंडमूल दोष केवल अशुभ प्रभाव की देता है बल्कि कुछ मामलों में इसका शुभ प्रभाव भी प्राप्त होता है। इसके शुभ प्रभाव में व्यक्ति को किसी ऊंचे पद की प्राप्ति होती है। इन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।
छ: नक्षत्रों के आधार पर उनका प्रभाव
- अश्विनी
ये जातक राजा जैसा जीवन व्यतीत करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे जातकों के पिता को कोई न कोई कष्ट रहता है। यह व्यक्ति समृद्ध होते हैं और किसी ऊंचे पद पर नियुक्त होते हैं।
- अश्लेषा
इस नक्षत्र में जन्मे जातक अनावश्यक वस्तु ओं पर पैसा खर्च करते हैं। इन्हें माता-पिता से संबंधित परेशानियां होती हैं एवं भाई के साथ इनका संबंध अच्छा नहीं होता।
- मघा
जातक को माता-पिता के कारण परेशानी झेलनी पड़ती है। ये अत्यधिक धन कमाते हैं एवं समृद्ध होते हैं।
- ज्येष्ठा
इन जातकों की अपने छोटे भाई से अनबन रहती है एवं ये स्वयं से नाखुश रहते हैं। अपनी माता के स्वभाव से भी यह व्यक्ति संतुष्ट नहीं होते।
- मूल
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को जमीन और प्रॉपर्टी का नुकसान होता है। इनके कारण माता-पिता को कष्ट सहने पड़ते हैं। यह अत्यधिक खर्चीले होते हैं।
- रेवती
यह जातक स्वयं से संतुष्ट और खुश रहते हैं। इन्हें सरकार से लाभ मिलता है लेकिन ये पैसों की बर्बादी भी करते हैं।
दोष निवारण के लिए रत्न नहीं हैं ईलाज
आमतौर पर रत्नों को उससे संबंधित ग्रह को शांत करने के लिए धारण किया जाता है और रत्न केवल उसे शांत कर सकते हैं। हम ये नहीं कह रहे हैं कि इस दोष में रत्न पूरी तरह से निष्प्रभावी है। आपको रत्न धारण करने से लाभ तो होगा लेकिन उतना नहीं जितना की इस दोष को शांत करने के लिए जरूरत होती है। आप रत्न धारण कर सकते हैं लेकिन इसके अलावा भी आपको कई अन्य उपाय करने ही होंगें तभी इस दोष के दुष्प्रभाव में कमी आएगी।
गंडमूल दोष का एकमात्र उपाय
जी हां, इस दोष को शांत करने का सबसे सरल और सर्वोत्तम उपाय है पूजा। पूजा के दौरान इस दोष से संबंधित ग्रह और नक्षत्रों के मंत्रों से इस दोष को शांत किया जाता है। अगर आप इस दोष की पूजा करवाएं तो आपको शीघ्र अति शीघ्र इस दोष के प्रभाव से छुटकारा मिल सकता है।
आप पं. सूरज शास्त्री से भी इस दोष निवारण पूजा करवा सकते हैं। इस पूजा हेतु आपका नाम, आपके पिता का नाम और आपके पूर्वजों का नाम लेना जरूरी होता है, तभी इस दोष से आपको मुक्ति मिल सकती है। अगर आप अपने जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं तो तुरंत इस नंबर पर कॉल करके पूजा के लिए शुभ मुहुर्त बुक करें : 8882540540
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