भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है और मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पूर्व गणेश जी का पूजन करना मंगलकारी रहता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास में दो चतुर्थी पड़ती हैं। माना जाता है कि गणेश चुतर्थी के दिन पूजन एवं व्रत करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
गणेश चुतर्थी 2018
वैसे तो हर मास में गणेश चतुर्थी आती है किंतु भाद्रपद की शुक्ल चुतर्थी को गणेश जी का जन्मदिवस माना जाता है और इसी कारण ये चतुर्थी सबसे ज्यादा विशेष मानी जाती है। इस साल गणेश चतुर्थी 12 सितंबर यानि बुधवार के दिन आरंभ हो रही है और इसका समापन 23 सितंबर को होगा।
गणेश चतुर्थी पर पूजन की सामग्री
भगवान गणेश की प्रतिमा, लाल पुष्प, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती। गणेश चुतर्थी के दिन सभी भक्त अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं। इस दिन पर गणेश जी की पूजा करना सबसे पवित्र माना गया है। बप्पा की मूर्ति को घर लाने से पहले इन सब चीज़ों को तैयार कर लें। अगरबत्ती, धूप, आरती की थाली, पान के पत्ते, मूर्ति पर डालने के लिए वस्त्र, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन।
गणेश चतुर्थी पूजन विधि
गणेश जी की मूर्ति को घर लाने के बाद सबसे पहले आरती की थाली में अगरबत्ती और धूप जलाएं। इसके बाद पान के पत्ते और सुपारी को भी इसमें रखें। इस दौरान ‘ ऊं गं गणपतये नम:’ का जाप करें। अगर कोई पुजारी हो तो उन्हें दक्षिणा भी दें। अगर आप चतुर्थी से पहले मूर्ति को घर ला रहे हैं तो उन्हें मूर्ति को एक कपड़े से ढक कर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए।
मूर्ति के घर में प्रवेश करने से पहले उस पर अक्षत डालें। स्थापना के समय भी अक्षत को आसन के निकट डालना चाहिए। इसके साथ ही सुपारी, हल्दी, कुमकुम और दक्षिणा भी वहां रखना चाहिए।
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि कर शुद्ध होकर धुले हुए वस्त्र धारण करें। गणेश चतुर्थी के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ रहता है। गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर करके करें।
पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान करवाएं और इसके बाद केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें और उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका मुख पश्चिम की ओर करें।
शाम के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्त्रानामावली, गणेश जी की आरती, सकंटनाशत गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ‘ऊं गणेशाय नम:’ एवं ‘ऊं गं गणपतये नम:’ का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।
गणेश चतुर्थी पर करें ये काम
मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश विघ्नों को दूर करने के लिए उनके मार्ग में विकट रूप धारण करके खड़े हो जाते हैं। अपने घर, दुकान, फैक्ट्री आदि के मुख्य द्वार के ऊपर तथा उसकी पीठ पर अंदर की ओर गणेश जी का स्वरूप अथवा चित्रपट जरूर लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी कभी भी आपके घर, दुकान अथवा फैक्ट्री की दहलीज़ पार नहीं करेंगें। इस तरह कोई भी नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
गणेश चतुर्थी के दिनों में पूजन स्थल में बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोज़ाना करेंगें तो शुभ फल प्राप्त होगा। शुद्ध मन से भगवान गणेश की पूजा करें।
गणेश चतुर्थी का व्रत
हर मास में आने वाली चतुर्थी के दिन गणेश जी का व्रत किया जा सकता है। इस दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और धुल हुए वस्त्र धारण कर घर के पूजन स्थल में बैठ जाएं और व्रत का संकल्प लें। पूरा दिन आप निराहार व्रत रख सकते हैं या चाहें तो फल खा सकते हैं। शाम को चांद निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। व्रत में मीठा व्यंजन जरूर बनाएं और गणेश जी को भोग लगाने के बाद ही व्रत खोलें।
गणपति जी की प्रतिमा में इन बातों का ध्यान रखें
- स्वच्छ स्थान पर ही भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करें और प्रतिमा की स्थापना के लिए ईशान कोण ही चुनें।
- श्रीगणेश की प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर ही रहना चाहिए। रोज़ भगवान गणेश की पूजा और आरती करें।
- भगवान गणेश को तुलसी न चढ़ाएं और स्थापना स्थल पर मृतात्माओं की तस्वीरें भी न लगाएं।
- स्थापना स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी वस्तु न रखें। भगवान गणेश को दूर्वा अतिप्रिय है इसलिए उनके पूजन में दूर्वा अवश्य चढ़ाएं।
- चमड़े की बेल्ट या पर्स रखकर एवं किसी भी प्रकार का नशा कर के पूजा में शामिल न हों। स्थापना के पश्चात् गणेश जी की प्रतिमा को हिलाएं नहीं।
गणेश चतुर्थी का महत्व
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि गणेश चुतर्थी का पूजन करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अगर आपके घर में कोई नकारात्मक शक्ति है या आपके पास धन नहीं टिकता है तो आपको गणेश चुतर्थी के दिन पूजन एवं व्रत करना चाहिए। आप चाहें तो हर मास आने वाली चतुर्थी का व्रत भी कर सकते हैं।
गणेश जी सभी दुखों को दूर करते हैं इसलिए आप अपने जीवन को सुख और समृद्ध बनाने के लिए गणेश चतुर्थी का पूजन कर सकते हैं। गणेश जी को मोदक बहुत पसंद हैं इसलिए इनके पूजन में मोदक जरूर रखें। इसके अलावा इस दिन हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ रहता है। गणेश जी को भी इन्हीं रंगों के वस्त्र अर्पित करें।
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