भगवान शिव को संसार में सर्वोपरि माना गया है और उनके पूजन से संसार के सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
वैसे तो हर माह कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा गया है।
महाशिवरात्रि की कथा
मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। किवदंती है कि मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए हज़ारों वर्षों तक तपस्या की थी और इसके बाद उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसके पश्चात् फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शिवरात्रि को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इस दिन शिव ज्येाति प्रकट हुई थी।
कुंवारी कन्याएं रखती हैं व्रत
महाशिवरात्रि के पर्व पर कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं। उनके लिए ये व्रत विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि जो कुंवारी कन्या महाशिवरात्रि का व्रत रखती है उसे मनचाहा वर मिलता है और उसका विवाह भी जल्दी हो जाता है। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए ये व्रत रखती हैं।
महाशिवरात्रि का इतिहास
शास्त्र व पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने फाल्गुन मास की चतुर्दशी के दिन जगत मे बढ रहे पाप का नाश करते हुये सृष्टि का नाश किया था। इस दिन भगवान का रुद्र रूप प्रकट हुआ था। घनघोर रात्रि में भगवान रुद्र का क्रोध रूप समस्त प्रकार के पाप का नाश करने वाला माना जाता है। इसलिये यह दिन पापों से मुक्ति हेतु शिव के स्मरण के लिये जाना जाता है। इसके अतिरिक्त एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव का पार्वती संग विवाह हुआ था ऐसा माना जाता है।
भोलेनाथ का पूजन
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इसके अतिरिक्त भक्त भोलेनाथ को बिल्वपत्र व धतूरे का प्रसाद अर्पित करते हैं। ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप अत्यधिक कल्याण कारक होता है। दिन में उपवास एवं रात्रि को यथा शक्ति शिव पूजन किया जाना चाहिये। रात्रि को जागरण कर शिव की महिमा का श्रवण एवं पाठ करने मनोकामनायें अवश्य पूरी होती हैं।
महाशिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार इस शुभ दिन को मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दिन के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ही शिव ने कालकूट नामक विष को अपने अंदर समाहित किया था। यह विष समुद्र मंथन से निकला था। महाशिवरात्रि का व्रत रखने से जीवन के सब दुख दूर हो जाते हैं और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
व्रत की महिमा
जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये व्रत सभी पापों से मुक्त कर देता है। लगातार 14 वर्षों तक इस व्रत को करने के बाद विधि-विधान से इसका समापन करना चाहिए।
महाशिवरात्रि 2019
साल 2019 में महाशिवरात्रि का पर्व 4 मार्च 2019 यानि सोमवार को पड़ रहा है।
निशिता काल पूजन समय : 24:07+ से 24:57+
समयावधि 49 मिनट
5 मार्च को पारण का समय : 6.46 से 15.26 तक
रात्रि के पहले प्रहर की पूजा का समय : 18.18 से 21.25 तक
रात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा का समय : 21.25 से 24.32 तक
रात्रि के तीसरे प्रहर की पूजा का समय: 24.32 से 27.39 तक
रात्रि के चौथे प्रहर की पूजा का समय : 27.39 से 30.46 तक
चतुर्दशी तिथि का आरंभ : 4 मार्च को 16.28 पर
चतुर्दशी तिथि का समापन : 5 मार्च को 19.07 पर
महाशिवरात्रि व्रत की पूजन सामग्री
पंचामृत, सुगंधित पुष्प, शुद्ध वस्त्र बिल्व पत्र, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन का लेप और ऋतुफल आदि।
व्रत की विधि
महाशिवरात्रि के पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करें। स्नान के बाद भस्म का तिलक लगाएं और रुद्राक्ष की माला धारण करें। इसके ईशान कोण दिशा की ओर मुख कर शिव का पूजन, धूप, पुष्पादि और अन्य पूजन सामग्री से शिव का पूजन करें। इस व्रत में चार प्रहर पूजा की जाती है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है। हर पहर में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। चारों पहर में इस मंत्र का जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। उपवास के दौरान रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि के उपाय
- भगवान शिव को नीला रंग प्रिय होता है। इसलिए अपनी दुकान की उत्तर दिशा में महाशिवरात्रि के दिन नीले रंग के फूल रखें। ऐसा करने से आपके काम में आ रही रुकावटें दूर होंगीं।
- अपनी दुकान के मंदिर में भगवान शिव की ऐसी तस्वीर लगाएं जिसमें शिवजी नंदी पर बैठे हों। इससे आपको अपने बिजनेस में नए अवसर प्राप्त होंगें।
सर्वशक्तिशाली उपाय
भगवान शिव और मां काली की शक्तियों से बना शिवलिंगम् लॉकेट अत्यंत चमत्कारिक है। इसे गले में धारण करने का औचित्य ये है कि गले में रहकर ये आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जाओं के सीधे संपर्क में रहता है और आपके ऊपर उन्हें हावी होने से पहले ही नष्ट कर देता है।
महाशिवरात्रि का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आपके विवाह में अनावश्यक देरी आ रही है या विवाह नहीं हो पा रहा है या आप मनचाहा वर चाहती हैं तो इस शुभ अवसर पर व्रत रखकर अपनी मनोकामना को पूर्ण कर सकती हैं।
भोलेनाथ के भक्त भी इस अवसर पर उनकी विशेष आराधना करते हैं। देशभर में शिवालयों में विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है और रातभर भजन और कीर्तन किया जाता है। शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए ये दिन बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भी ये दिन अत्यंत महत्व रखता है।
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