हिंदू धर्म में अनेक व्रत और त्योहार हैं और इन्हीं में से एक है गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। ये पूजा दीपावली के अगले दिन होती है।
गोवर्धन पूजा 2018
इस साल गोवर्धन पूजा 8 नवंबर को की जाएगी। उत्तर भारत के कई हिस्सों जैसे मथुरा और वृंदावन आदि में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है और इन स्थानों पर गोवर्धन पूजा बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाई जाती है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा प्रथाकाल मुहूर्त : 6.42 से 8.51 तक
समयावधि : 2 घंटे 9 मिनट
गोवर्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त : 15.18 से 17.27 तक
समयावधि : 2 घंटे 9 मिनट
प्रतिपदा तिथि आरंभ : 7 नवंबर को 21.31 पर
प्रतिपदा तिथि का समापन : 8 नवंबर को 21.07 को।
श्रीकृष्ण की होती है पूजा
इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की पूजा होती है। यह पर्व अनेक मान्यताओं और लोक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
गोवर्धन पूजन की विधि
गोवर्धन पूजा के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करें और उसके बाद घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं। गोवर्धन पूजा के दिन आपको इसी की पूजा करनी है और अन्न्कूट का भोग लगाना है।
द्वापर युग से ही यह परंपरा चली आ रही है। इस पर्वत के पास ही भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें और 56 भोग लगाएं। पूजन कर कथा करें और वहां उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद बांट दें।
गोवर्धन पूजा की कथा
गोवर्धन पूजन के बारे में कई लोक कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा ये भी है कि ब्रज में रहने वाले लोग देवों के राजा इंद्र की पूजा किया करते थे। इसके पीछे कारण था कि देवराज इंद्र प्रसन्न होकर वर्षा करते जिससे अन्न पैदा होता लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि इंद्र देव की पूजा करने से अच्छा है कि आप हमारे पर्वत की पूजा करें जो गायों को भोजन देते हैं।
तब ब्रज वासियों ने श्रीकृष्ण के कहने पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरु कर दिया। इस बात से रुष्ट होकर इंद्र देव ने बादलों को गोकुल में भीषण वर्षा करने का आदेश दिया। आदेशानुसार बादलों ने ब्रज की भूमि पर मूसलाधार बारिश शुरु कर दी।
साथ ही तेज तूफान भी आया है और पूरी गोकुल नगरी तहस-नहस हो गई। तब अपने नगरवासियों के प्राणों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने सभी को गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा।
जब सभी गोवर्धन पर्वत के निकट पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने पर्वत को अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासी भागकर गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए। ब्रजवासियों पर एक बूंद बारिश भी नहीं गिरी।
भगवान की लीला को जानकर इंद्र देव ने क्षमा मांगी और सात दिन बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और इस तरह ब्रजवासियों के प्राणों की रक्षा की। बस तभी से हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व मनाया जाता है।
प्रकृति के निमित्त है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का दिन प्रकृति को उसकी कृपा के लिए धन्यवाद करने का दिन है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत के द्वारा लोगों को प्रकृति का महत्व समझाया था। गोवर्धन पूजा के मौके पर लाखों लोग मथुरा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते आते हैं और इनमें विदेशी सैलानी और भक्त भी शामिल होते हैं।
गोवर्धन पूजा से क्या मिलता है फल
मान्यता है कि गोवर्धन पूजा करने से धन और धान्य की प्राप्ति होती है और संतान एवं गोरस मिलता है। इस दिन गोवर्धन देव से प्रार्थना की जाती है कि वो पृथ्वी को धारण करने वाले भगवान आप हमारे रक्षक हैं और हमें भी अपनी धन-संपदा प्रदान करें। इस दिन को गौ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गौ सेवा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
अगर आपके घर या क्षेत्र में गाय है तो गोवर्धन पूजा के दिन सुबह गाय को स्नान करवाएं और उन्हें कुमकुम, अक्षत और फूल माला से सजाएं। इस दिन गाय-बैलों को सजाने के बाद गोबर से पर्वत बनाया जाता है और फिर उसकी पूजा की जाती है। गोबर पर खील और बताशे चढ़ाए जाते हैं और शाम को छप्पन भोग का नैवेद्य लगाया जाता है।
अन्नकूट पर्व भी है
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को 56 भोग लगाए जाते हैं और इस उत्सव के बारे में प्रसिद्ध है कि इस पर्व का आयोजन और दर्शन से ही भक्तों को कभी अपने जीवन में अन्न की कमी नहीं होती है।
इस दिन पूजा करने वाले लोगों पर सदा अन्नपूर्णा देवी की कृपा रहती है। एक प्रकार से ये दिन सामूहिक भोज का पर्व होता है और इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकसाथ बैठकर एक जगह बनाई गई रसोई को भगवान को अर्पण करने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
इस दिन अन्य पर्व भी मनाते हैं
महाराष्ट्र में इस दिन बालि प्रतिपदा या बालि पदवा का पर्व भी मनाया जाता है। ये दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्हें राजा बालि के साथ युद्ध में जीत हासिल की थी। माना जाता है इस दिन पाताल लोग का राजा असुर बालि भगवान विष्णु के वामन अवतार से युद्ध करने पृथ्वी लोक पर आए थे।
इसके अलावा कई जगहों पर गोवर्धन पूजा के दिन को गुजराती नववर्ष का दिन भी कहा जाता है जोकि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। प्रतिपदा तिथि के आरंभ होने के अनुसार गोवर्धन पूजा गुजराती नववर्ष के एक दिन पहले आती है।
गोवर्धन पूजा में किस रंग के वस्त्र पहनें
चूंकि, गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण की पूजा होती है और उन्हें पीला रंग प्रिय है इसलिए गोवर्धन पूजा में पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहता है। लाल रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं क्योंकि लाल रंग शुभता का प्रतीक माना जाता है।
गोवर्धन पूजा करने से आपको अपने जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होगी इसलिए इस साल 8 नवंबर को ये पूजा जरूर करें और अपने जीवन को सुखी और संपन्न बना लें।
The post प्रकृति को धन्यवाद करने का दिन है गोवर्धन पूजा, जानिए पूजन विधि appeared first on AstroVidhi.