लहसुनिया रत्न का स्वामी केतु ग्रह है। केतु संतान सुख को प्रभावित करता है, संस्कृत में इसे बालसूर्य या विदुर रत्न कहते है और फ़ारसी में इसे लहसुनिया कहते है। जन्मकुंडली में केतु दूषित हो, दुर्बल हो या अस्त हो तो लहसुनिया पहनना लाभकारी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस ख़ास रत्न को धारण कर लेने से जातक केतु के बुरे प्रभाव से आसानी से बच सकते है और जो लोग जीवन में कठिन दौर से गुजर रहे है, उनके कष्ट भी इस रत्न के प्रभाव से मिट जाते है। लहसुनिया रत्न को धारण करने से जीवन में बहुत मजबूती मिलती है।
लहसुनिया रत्न पहनने के फायदे
- इस रत्न के प्रभाव से कभी भी किसी की बुरी नजर नही लगती तथा बुरे सपने नहीं सताते और न ही किसी से भय लगता है, आप स्वयं को बलशाली महसूस करते है।
- जीवन में उत्पन्न दुःख, दरिद्रता से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति अच्छा जीवन व्यतीत करता है।
- केतु के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और केतु अपना रौद्र रूप न दिखाकर व्यक्ति के जीवन में सुख- सम्पन्नता लाता है।
- इस रत्न को धारण करने से आत्मबल में वृद्धि होती है और कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी बलशाली बन जाता है, डर का खात्मा हो जाता है।
- लहसुनिया राजनीति में पद-प्रतिष्ठा दिलाता है और व्यक्ति धन-संपत्ति प्राप्त करता है।
- केतु को बलशाली बनाने के लिए ही लहसुनिया धारण किया जाता है, कोई अनचाहा ड़र आपको परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर करता है।
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- लहसुनिया रत्न ऐसा है कि आपको सांसारिक मोह माया से दूर करता है, इसके प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- लहसुनियाके प्रभाव से जातक को व्यापार में भी सफलता मिलती है।
किन राशियों के लोग लहसुनिया धारण कर सकते है।
जिन लोगों की राशि वृषभ, मकर, तुला, कुंभ और मिथुन है, उन लोगों के लिए केतु से सम्बंधित लहसुनिया रत्न पहनना बहुत ही लाभदायक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, चन्द्र तथा गुरु केतु के शत्रु ग्रह है, इसलिए सूर्य का रत्न माणिक्य, चंद्रमा का रत्न मोती और गुरु का रत्न पुखराज लहसुनिया के साथ धारण नहीं करना चाहिए, अन्यथा विपरीत परिणाम मिलते है अतः यह तीनो रत्न लहसुनिया के साथ पहनना वर्जित है। मूंगा पहनने से केतु के शुभ प्रभाव प्राप्त होते है क्योंकि मंगल और केतु दोनों के गुणों में समानता होती है।
लहसुनिया धारण करने के नियम
लहसुनिया रत्न चांदी की धातु में जड़वाकर दाहिने हाथ की मध्यमा अंगूली में बुधवार के दिन धारण करना उत्तम होता है। बुधवार के दिन अगर अश्विनी, मघा इस तरह के योग हों तो लहसुनिया धारण करने का यह शुभ योग माना जाता है। लहसुनिया धारण करते समय अपने कुल देवता तथा केतु को याद करते हुए ॐ श्रां श्रीं शौं शा: केतवे नमः का 108 बार जाप करना न भूलें, साथ ही धूप दीप जलाकर प्रणाम करें और अपना मुख उत्तर या पूर्व की तरफ रखते हुए लहसुनिया रत्न धारण करें।
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