Quantcast
Channel: AstroVidhi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2077

जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020, जानिए व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और जन्माष्टमी कथा

$
0
0

जन्माष्टमी 202011 अगस्त, मंगलवार

जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

निशीथ पूजा मुहूर्त : 00:04 से 00:48

जन्माष्टमी पारण मुहूर्त का समय – 11:15 (12 अगस्त के बाद)

अष्टमी तिथि आरंभ- 09:06 (11 अगस्त)

अष्टमी तिथि समाप्त – 11:15 (12 अगस्त)

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर नित्य कर्म करने के बाद स्नान आदि के पश्चात अपने माथे पर चंदन का टिका लगाएं, इसके बाद घर में स्थापित मंदिर में सफाई आदि करें, तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को भी स्नान कराये, साथ में मंदिर में जो भी देवी देवताओं की मूर्तियाँ है उनको भी स्नान कराएं। मूर्ति को दूध, घी, फूल, और साधे पानी से नहलाएं और नए वस्त्र धारण करवाएं हो सके तो बांके बिहारी जी को पीले वस्त्र धारण कराएं और आभूषण पहनाएं। उनका श्रृंगार पूरा होने के बाद उन्हें वापिस उनके स्थान पर स्थापित करे और हाथ में जल. फूल और पुष्प लेकर संकल्प करें और सामने घी का दीपक जलाएं। पूजा के लिए एक स्वच्छ थाली ले और उस थाली में गंगाजल, कुमकुम, चन्दन, रोली, धूप, फल, फूल और दीपक रखें। इसके बाद अपने बाएं हाथ से पानी लेकर सीधे हाथ से पानी ले और ॐ अचुत्याय नमः का जाप करें, तत्पचात हाथ का जल ग्रहण करें। श्री कृष्ण की मूर्ति के आगे घी का दीपक रखे और फूल अर्पण करे। पूजा के दौरान अपने द्वारा की गयी गलतियों की क्षमा मांगे।

अभी लड्डू गोपाल आर्डर करें  

जन्माष्टमी का महत्व

हम सभी जानते है की भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि, चंद्रोदय के समय मथुरा की पावन धरती पर भगवान विष्णु ने ही कृष्ण अवतार लेकर माता देवकी और वासुदेव की आठवी संतान के रूप में अपने ही मामा कंस के धरती पर बढ़ रहे पापों का अंत करने के लिए जन्म लिया था, मथुरा में इस दिन काफी हर्षोल्लास देखा जाता है, दूर देश-विदेश से लोग जन्माष्टमी को मनाने मथुरा आते है।

यह दिन हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बेहद ही ख़ास होता है। जन्माष्टमी के दिन लोग पूरे दिन व्रत रखते है और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में विलीन हो जाते है। कहते है इस दिन श्री कृष्ण को झूला झूलाने से कई जन्मो के पाप धुल जाते है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। पूरे दिन लोग घरों में मंदिरों में श्री कृष्ण की झाँकिया सजाते है, इस दिन कान्हा जी का श्रृंगार किया जाता है, झूले झुलाए जाते है। मंदिरों को सजाया जाता है, श्री कृष्ण के भजन कीर्तन किये जाते है। रात 12 बजे उनके जन्म का इन्तजार किया जाता है और नवमी तिथि के दिन कृष्ण जन्म पर उनके भक्त व्रत का पारण करते है। लोग अलग-अलग झांकियों में भगवान कृष्ण की छवि देखकर उनके दर्शन करते है। रोशनी की झगमगाट में मंदिरों का दृश्य बेहद ही सुंदर दिखाई पड़ता है। महाराष्ट्र में यह पर्व दही हांडी के रूप में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

जन्माष्टमी की कथा

मथुरा में द्वापर युग के अंत में राजा उग्रसेन राज्य करते थे। राजा उग्रसेन के पुत्र थे कंस। कंस बहुत ही अत्याचारी था। राजा उग्रसेन को उनके अपने बेटे कंस ने ही बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और स्वयं राजा बन गया। कंस की बहन का नाम था देवकी, जिसका विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ संपन्न होने का निश्चित हुआ था। जब कंस अपनी बहन देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहे थे तभी आकाशवाणी हुई, हे कंस! जिस बहन देवकी को तू बड़े ही स्नेह के साथ विदा करने आया है, उसका आठवा पुत्र तेरा सर्वनाश करेगा, तेरा संहार करेगा। आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोध से तिलमिला उठा और आवेश में आकर देवकी को मरने के लिए तैयार हुआ, उसने सोचा न देवकी होगी न उसका कोई पुत्र होगा फिर मुझे मारने वाला इस धरती पर पैदा ही नहीं होगा।     

अभी लड्डू गोपाल आर्डर करें  

बड़ी मुश्किल से वासुदेव ने कंस को समझाया की तुम्हे देवकी से तो कोई भय नहीं है। देवकी के आठवीं संतान से भय है, इसलिए आठवी संतान को मै तुम्हे सौप दूंगा। कंस ने वासुदेव की बात स्वीकार कर ली परन्तु उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया। उसी समय त्वरित नारद वहां पहुंचे और कंस से बोले की यह कैसे पता चलेगा की आठवाँ गर्भ कौन-सा है। गिनती पहले गर्भ से होगी या अंतिम गर्भ से। कंस ने नारद जी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को एक-एक करके निर्दयतापूर्वक मार डाला।

वो दिन आ गया जब भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि, चंद्रोदय के समय मथुरा की पावन धरती पर श्री कृष्ण का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही कारागर में दिव्य रोशनी फ़ैल गयी। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, पद्मधारी एवं गदा चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। मुझे शीघ्र ही गोकुल में नन्द के यहाँ पहुंचा दो और उनकी अभी अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौप दो। वासुदेव ने वैसा ही किया और कन्या को लेकर कंस को सौप दिया।  

कंस ने जब उस कन्या को मारना चाहा तो वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली की मुझे मारने से क्या लाभ होगा? तुझे मारनेवाला तेरा शत्रु तो गोकुल पहुँच चुका है। यह दृश्य देखकर कंस व्याकुल हो गया। श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने अनेक दैत्य भेजे परन्तु श्रीकृष्ण की अपनी अलौकिक माया से सारे दैत्य, राक्षस मारे गए। बड़े होने वर श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया और इस धरती पर फैले पापों का अंत हुआ उसके बाद उग्रसेन को फिर से राजगद्दी पर बैठाया गया।

अभी लड्डू गोपाल आर्डर करें  

The post जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020, जानिए व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और जन्माष्टमी कथा appeared first on AstroVidhi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2077

Trending Articles