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कुंडली में नागदोष हो तो झेलने पड़ते हैं ये कष्‍ट

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राहु ग्रह का संबंध नाग से माना जाता है। राहु के प्रभाव से उत्‍पन्‍न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष (Naag Dosha) कहा जाता है। जब कुंडली (Kundali) में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में नाग दोष (Naag Dosha) बनता है। कुंडली (Kundali) में इस दोष के बल तथा स्थिति के आधार पर ही जातक को कष्ट और इसके अशुभ फल मिलते हैं।

यदि किसी कुंडली में राहु या केतु कुंडली के पहले, दूसरे, पांचवें, सातवें या आठवें घर में विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में कुंडली (Kundali) में नागदोष बनता है। नागदोष (Naag Dosha) का प्रभाव कुंडली में राहु तथा केतु की स्थिति पर निर्भर करता है।

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कारण

कुंडली (Kundali) में नागदोष (Naag Dosha) देह संस्‍कार में देरी अथवा किसी अपरिचित के द्वारा अंतिम संस्‍कार के कारण लगता है।

– यदि किसी व्‍यक्‍ति के शरीर के सभी अंगों का एकसाथ दाह संस्‍कार न किया जाए तो उसे नागदोष (Naag Dosha) लगता है।

– यदि किसी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु दुर्घटना, बम ब्‍लास्‍ट, आत्‍महत्‍या या ज़हर खाने के कारण हुई है तो उसे नाग दोष लग जाता है।

– पूर्वर्जों द्वारा किसी अजन्‍मे बच्‍चे की हत्‍या एवं काला जादू करने पर कुंडली में नागदोष (Naag Dosha) बनता है।

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प्रभाव -:

– नाग दोष होने पर जातक किसी पुराने या यौन संचारित रोग से ग्रस्‍त रहता है।

कुंडली में नागदोष (Naag Dosha) हो तो जातक को अपने प्रयासों में सफलता प्राप्‍त नहीं होती।

– नाग दोष (Naag Dosha) का अत्‍यंत भयंकर प्रभाव है कि इसके कारण महिलाओं को संतान उत्‍पत्ति में अत्‍यधिक परेशानी आती है।

कुंडली में नागदोष होने से व्‍यक्‍ति की गंभीर दुर्घटना होने की संभावना रहती है। इन्‍हें जल्‍दी-जल्‍दी अस्‍पताल के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं एवं इनकी आकस्‍मिक मृत्‍यु भी संभव है।

– नागदोष (Naag Dosha) से प्रभावित जातकों को उच्‍च रक्‍तचाप और त्‍वचा रोग की समस्‍या रहती है।

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उपाय

कुंडली (Kundali) में नागदोष (Naag Dosha) के प्रभाव को कम करने के लिए षष्‍ठी के दिन सर्प परिहार पूजा करें एवं इसके समापन के पश्‍चात् स्‍नान अवश्‍य करें।

– यदि आपकी कुंडली (Kundali) में नागदोष है तो आप नियमित रूप से भगवान शिव की आराधना करें और शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं। रोजाना 108 बार ‘ऊं नम: शिवाय:’ और ‘दोष निवारण मंत्र’ का जाप करें। माथे पर चंदन का तिलक लगाएं।

– नागदोष से प्रभावित जातक मंगलवार और शनिवार के दिन शेषनाग की पूजा करें। यह पूजन कम से कम 18 सप्‍ताह तक अवश्‍य करें।

– जिन लोगों की कुंडली (Kundali) में नागदोष (Naag Dosha) हो वह नागपंचमी के दिन महाभारत पाठ करें और किसी ज्‍योतिष की सलाह से पंच धातु की अंगूठी धारण करें।

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