मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप ![chandraghanta-1]()
मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप है मां चद्रघंटा। नवरात्रे में मा चंद्रघंटा का सच्चे दिल से पूजन करने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इनकी साधना से मनुष्य को सुख-समृद्धि, धन-संपदा, प्रेम-काम और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा के नाम का अर्थ कुछ इस प्रकार है – चंद्र का अर्थ होता है चंद्रमा और घंटा का अर्थ है ध्वनि करने वाला घंटाकर्ण अर्थात् जिस देवी के मस्तक पर घंटीनुमा चंद्रमा विराजमान हो वही मां चंद्रघंटा है।
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कौन करे पूजन ![chandraghanta-2]()
– जिन लोगों को प्रेम विवाह की कामना है वह मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से आराधना करें।
– प्रेम, ऐश्वर्य और विवाह के लिए भी मां चंद्रघंटा को प्रसन्न किया जाता है।
– यदि किसी के विवाह कार्य के संपन्न होने में बाधाएं उत्पन्न हो रहीं हैं तो उसे मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
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कैसे करें प्रसन्न ![chandraghnta-3]()
मां चंद्रघंटा की उपासना गौधूलि वेला में शाम को 5 बजे से 6 बजे के मध्य करें। इनकी पूजा गुलाबी रंग के फूलों से करनी चाहिए। मां चंद्रघंटा को दूध चावल से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए तथा श्रृंगार में इन्हें सुगंधित द्रव्य इत्र अर्पित करना अच्छा रहता है।
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उपाय ![chandraghanta-4]()
श्लोक: या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
उपाय : प्रेम संबंध और विवाह में सफलता पाने के लिए मां चंद्रघंटा पर तांबे से बनी घंटी चढ़ाएं।
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