दान करने के नियम
दान (Donate) संसार का सबसे अच्छा और पुण्य प्राप्त करने वाला काम माना गया है। कहते हैं कि दान (Donate) करने से मनुष्य को सीधे स्वर्ग में जगह मिलती है। लेकिन क्या आप जाते हैं कि दान के भी अपने कुछ नियम होते हैं और इनको नजरअंदाज कर के किया हुआ दान व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है और स्वयं व्यक्ति की मृत्यु तक का कारण बन जाता है। तो आइए जानते हैं दान करने के नियमों के बारे में -:
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धन का दसवां भाग
– आपको प्राप्त होने वाले धन लाभ का दसवां भाग ही दान के लिए होता है और इसे सत्कर्मों में लगाना चाहिए।
परिवार की सहमति से करे दान
– दान करने से पहले ये अवश्य देख लें कि आपके दान करने से आपकी पत्नी, पति और परिवार को कोई दुख तो नहीं हो रहा। यदि इन्हें दुखी करके दान किया गया तो दान कितना भी बड़ा हो वह जीवन भर के दुख का कारण ही बनता है।
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स्वयं जाकर दान करना चाहिए
– दान करने के लिए यदि किसी को घर बुला रहे हैं तो यह दान से मिलने वाले फल को कम करता है। दान करने वाले व्यक्ति को स्वयं जाकर दान करना चाहिए, जिससे वह दान का उत्तम फल प्राप्त कर सके।
बिना टोके हुए करे दान
– गाय, ब्राह्मण और रोगी को दान देते समय यदि कोई टोक देता है तो व्यक्ति हमेशा के लिए दुख का भागी बन जाता है।
दिशा का भी रखे ध्यान
– दान करते समय यदि दान देने वाले व्यक्ति का मुह पूर्व की ओर और दान लेने वाले व्यक्ति का मुह उत्तर की ओर हो तो दान के फलस्वरूप दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
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इन वस्तुओं का भी करे दान
– अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन। इन आठ वस्तुओं का दान (Donate) मृत्योपरांत के कष्टों को नष्ट करता है।
रोगी की सेवा करना
– गाय, घर, वस्त्र, शैय्या तथा कन्या, इनका दान (Donate) एक ही व्यक्ति को करना चाहिए। रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन और ब्राह्मणों के पैर धोना, गौ दान के समान है ।
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