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जानें आपकी राशि में लिखा है कौन-सा रोग

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सेहत

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किसी भी इंसान के लिए जीवन में सबसे जरूरी चीज क्या है? निरोगी काया। व्यक्ति चाहे वो कितना भी सुंदर क्यों न हो, कितना भी दौलतमंद क्यों न हो, विश्व का बड़े से बड़ा शक्तिशाली व्यक्ति भले क्यों न हो, लेकिन अगर उसका स्वास्थ्य सही नहीं रहता है अथवा उसके शरीर में कोई रोग है तो उस इंसान को अपना जीवन ही बेकार-सा लगता है। सुख की सारी चीजें पास होने या खरीदने की क्षमता होने के बावजूद व्यक्ति के शरीर में कोई रोग हो और वो ठीक ना हो तो वो अपने आपको दुनिया का सबसे गरीब इंसान समझता है। हर इंसान को अपने जीवन को रोगमुक्त रखने के लिए शुरू से ही देखभाल करना चाहिए। आइए जानते हैं कि किस राशि के जातक को उसके जीवन में कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती है और कैसे जातक उससे खुद को बचा सकते हैः-

मेष

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मेष राशि के जातक का शरीर वैसे तो ठीक ही रहता है लेकिन जब वो अधिक काम कर लेते हैं तो अपने शरीर को निढाल बना लेते हैं। चूंकि इनके राशि का स्वामी मंगल है जो रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है इसलिए ये कम रोगग्रस्त होते हैं। फिर भी इन्हें अपने सिर की चोट से बचकर रहना चाहिए। मेष के जातक के पाचन प्रणाली में अधिकतर कमजोरी पायी जाती है, मल के पेट में जमा होने के कारण सिरदर्द, जलन, तीव्र रोगों, सिर की बीमारियां, लकवा, मिर्गी, मुहांसे, अनिद्रा, दाद, आधाशीशी, चेचक, और मलेरिया आदि के रोग बहुत जल्दी आक्रमण करते हैं।

यहां पढ़ें अपना वार्षिक राशिफल

वृषभ

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वृृषभ राशि वाले को शारीरिक अक्षमता जैसी स्थिति नहीं आती। इनमें एक बड़ी बीमारी जो होती है वो है खुद के अंदर डूबे रहने की आदत, आलस की आदत। इनके अन्दर टांसिल, डिप्थीरिया, पायरिया, जैसे मुंह और गले के रोग होते हैं, जब तक इनके दांत ठीक होते हैं, यह लोग आराम से जीवन को निकालते हैं, और दांत खराब होते ही इनका जीवन समाप्ति की ओर जाने लगता है। बुढ़ापे में जलोदर और लकवा वाले रोग भी पीछे पड़ जाते है।

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मिथुन

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मिथुन राशि वाले लोग ज्यादातर दिमागी काम करते हैं। इसलिए उनके दिमाग पर जब कभी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तब इनके पाचन तन्त्र पर प्रभाव पड़ता है, और सिर दर्द के साथ हाईपरटेन्सन जैसी बीमारियां इनके पास हमेशा मौजूद होती हैं। इनका मन ठीक है तो दुनिया इनके लिये ठीक होती है। मन के खराब होते ही इनका शरीर अस्वस्थ हो जाता है। जब इनका मन प्रसन्न हो तो ये लोग किसी भी बीमारी को भी चकमा दे सकते हैं। अधिक विज्ञापन वाली दवाइयों के प्रति इनका मन जाता रहता है। इनको अधिकतर जीभ के रोग, प्लूरिसी, निमोनिया, जैसे फ़ेफ़ड़ों के रोग, सर्दी, जुकाम, ब्रोम्काइटिस, आईसीनोफ़ीलिया, और सांस वाले रोग इनको होने की संभावना रहती है।

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कर्क

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कर्क कालपुरुष वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है, अत: कर्क जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, अधिक कल्पनाशक्ति के कारण भी कर्क राशि के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उन्हें फ़ेफ़ड़ों के रोग, फ़्लू, खांसी, दमा, श्वास रोग, प्लूरिसी और क्षय रोग भी होते हैं, उदर रोग और स्नावयिक दुरबलता, भय की भावना, मिर्गी, पीलिया, कैंसर और गठिया रोग भी होते देखे गये हैं।

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सिंह

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अधिकतर इस राशि वाले या तो बिलकुल स्वस्थ रहते हैं, या फ़िर आजीवन बीमार रहते हैं, जिस माहौल में यह रहना चाहते हैं अगर वो इस राशि के जातक को नहीं मिले तो इनके अभिमान को ठेस पहुंचती है। जिसके बाद ये लोग अपने मानसिक कारणों से बीमार रहने लगते हैं, इस राशि के लोग रीढ़ की हड्डी की बीमारी या चोटों से अपने जीवन को खतरे में डाल लेते हैं, और इस हड्डी का प्रभाव सम्पूर्ण शरीर पर होने से, चोट अथवा बीमारी से शरीर का वही भाग निष्क्रिय हो जाता है, जिस भाग में रीढ़ की हड्डी बाधित होती है। वैसे इस राशि के लोगों के लिये ह्रदय रोग, धड़कन का तेज होना, लू लगना, और संधिवात ज्वर होना आदि बीमारियों के होने की संभावना रहती है।

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कन्या

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कन्या राशि के जातकों में फ़ेफ़ड़ों में ठन्ड लगना और पाचन प्रणाली के ठीक न रहने के कारण आंतों में घाव हो जाना, आदि बीमारियां इस प्रकार के जातकों में मिलती है। कन्या जातक को आयरन की कमी के कारण एनिमिया नाम रोग होने की प्रबल संभावना रहती है। ये जातक मसल्स, हड्डी टूटने और कैल्शियम की कमी जैसे बीमारी से भी ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसा उनके तेजी से भोजन करने के स्वभाव के कारण होता है।

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तुला

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तुला राशि वालों को अस्थमा, एलर्जी, फ्लू या जुकाम की शिकायत हो सकती है। तुला राशि वालों का रंग साफ, दांत तथा बाल बहुत सुंदर व साफ होते हैं। तुला राशि वाले की आंखें कमजोर भी हो सकती हैं। बचपन में तुला राशि वाले उतने मजबूत दिखाई नहीं देते और बिना किसी बड़ी परेशानी के भी आसानी से बीमार पड़ जाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे तुला राशि वाले की उम्र बढ़ती है वो कल्पना में ही बीमार रहने की आदत पाल लेते हैं। तुला राशि में जो कमजोर लोग होते हैं उन्हें पेट, ब्लैडर, किडनी तथा रीढ़ की परेशानी हो सकती है।

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वृश्चिक

scorpio

वृश्चिक राशि वाले कुछ लोगों का वजन ज्यादा हो सकता है तो कुछ लोग बहुत ही पतले होते हैं। अपनी परेशानियों को अपने अंदर ही रखने की आपकी आदत के कारण आप को पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप आपमें से कुछ लोग तो ज्यादा खाने लगते हैं, जबकि कुछ लोग खाना ही छोड़ देते हैं। कुछ लोगों को अनिद्रा की बीमारी भी हो सकती है। दिल की परेशानियों के बारे में ज्यादा चिंता करना ठीक नहीं होता। तैराकी, व्यायाम तथा तनाव को दूर करने का एक अच्छा माध्यम हो सकती है। जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती है वजन भी बढ़ सकता है। इनको संक्रमण हो जाता है इसलिए ज्यादातर ये बुखार से पीड़ित रहते हैं। वृश्चिक राशि वालों का गला, पेट तथा ब्लेडर उनके ऐसे अंग होते हैं जिनमें जल्दी हो कोई परेशानी होने की संभावना रहती है।

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धनु

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धनु राशि वाले जीवन में किसी चीज़ को गंभीरता से नहीं लेते चाहे वो उनकी बीमारी ही क्यों ना हो। सारी राशियों में से धनु राशि वाले सबसे ज्यादा हिम्मत वाले होते हैं। केवल एक परेशानी होती है और वो ये कि इन्हें चोट व मोच बहुत जल्दी लग जाती है। कोई भी भारी व्यायाम करने से पहले अच्छा होगा कि शरीर को थोड़ा गर्म हो लें। इसके अलावा कोई भी नया काम शुरू करने से पहले अच्छा होगा कि अपनी पहली चोट को ठीक हो जाने दें। धनु राशि के जातक साफ रंग, चटकदार आंखें तथा तीखी नाक के स्वामी होते हैं। ताजे फल व सब्जियों का सेवन तथा दूध और दूध से बने पदार्थ खाना धनु राशि के लोगों के लिए ठीक होता है। कुछ लोग नर्वस सिस्टम में खराबी के शिकार हो सकते है। धनु राशि वाले लोगों को शरीर के निचले हिस्से में चोट लग सकती है।

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मकर

capricorn

मकर राशि वाले अपनी युवा अवस्था में असुरक्षा व भय से ग्रस्त रहते हैं लेकिन बाद के वर्षों में वे शनि की छत्तरछाया में खूब फलते-फूलते हैं। अधिकांश मकर वैसे तो बीमार ही नहीं होते लेकिन यदि एक बार वे बीमार हो जाएं तो फिर वे इस बात को दिल पर लगा लेते हैं। और यदि वे इस तनाव से खुद को मुक्त ना कर पाएं तो फिर वे दिल के दौरे व रक्तचाप जैसी बीमारियां भी मोल ले सकते हैं। मकर राशि का सूर्य तो कमजोर होता है लेकिन यदि इन्हें चन्द्रमा या शनि कष्ट ना पहुंचाएं तो अक्सर इनकी आयु लम्बी होती है। मकर राशि को दुर्घटना से प्रायः जोड़ों, घुटनों या पैरों की हड्डी टूटना, मोच आना या घाव होना आदि आम बात है। मकर की संवेदनशील त्वचा भी अक्सर ऍलर्जी का शिकार हो जाती है। आपके लिए नित्य व्यायाम, मालिश, ताजे फल व हरी सब्जियां का सेवन बहुत लाभदायक है।

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कुम्भ

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इस राशि के लोगों को संक्रमण बहुत जल्दी हो जाता है। ज्यादातर लोगों को खून के दौरे, गले तथा मोच आने की शिकायत होती है। हालांकि बचपन से ही इनका रुझान खेलने की ओर नहीं होता लेकिन फिर भी इन्हें नियमित व्यायाम करने पर ध्यान देना चाहिए। तेज चलना या फिर साइकलिंग करना इस राशि वाले जातक के लिए ठीक रहेगा। कुम्भ राशि वालों के गालों की हड्डियां कुछ उठी हुई होती हैं।

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मीन

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मीन राशि वालों की रंग प्रतिरोधी क्षमता बहुत धीमी होती है। जिसके कारण इनकी आंखें सोई-सोई सी रहती हैं, इसके अलावा खाने-पीने की गलत आदतों के कारण इनके फेंफड़े भी मजबूत नहीं होते। इन्हें अस्थमा, जुकाम या फ्लू की शिकायत भी हो सकती है। जो लोग ठंडी जगहों पर रहते हैं उन्हें अपना पूरा बचाव करने की कोशिश करनी चाहिए अच्छा होगा कि आप अपना गला, सिर तथा हाथ ढक कर रखें। अगर ऐसे लोग अपना ध्यान ना दें तो इनका वजन बढ़ सकता है। बहुत से मीन राशि वाले लोगों को लीवर तथा अपच की शिकायत रहती है। पैरों तथा टखनों पर जल्दी चोट लगने की संभावना रहती है। कला, संगीत तथा नृत्य से थकी हुई मांसपेशियों को आराम मिलता है। तैराकी करना मीन राशि वाले के लिए एक अच्छा व्यायाम होता है।

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