आध्यात्मिक साधना
भारतीय संस्कृति में विवाह का अत्यंत महत्व है। यह न केवल शारीरिक और सामाजिक संबंध है अपितु एक आध्यात्मिक साधना भी है। शास्त्रों में विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनके अनुसार शादी की पहली सालगिरह से पहले कुछ कार्य करना वर्जित माना गया है। इन नियमों का पालन करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय और शांति से परिपूर्ण रहता है।
तीर्थस्थल पर न जाएं
– आजकल का रिवाज़ है कि शादी के बाद पति-पत्नी हनीमून पर जाते हैं। ध्यान रखें कि हनीमून के लिए किसी तीर्थस्थल पर न जाएं।
विवाह में देरी हो रही है तो करें ये उपाय
भगवान शिव का तीर्थस्थल
– शास्त्रों के अनुसार भोले बाबा वैरागी और मतंग हैं। ऐसे में अगर कोई नवविवाहित दंपत्ति शिव मंदिर के दर्शन करते हैं तो उन्हें संतान का वरदान प्राप्त होता है और शिव के आशीर्वाद से प्राप्त संतान भी वैरागी और दुनिया ये विमुख हो सकती है। इसलिए विवाह के बाद एक साल तक भगवान शिव के किसी भी तीर्थस्थल के दर्शन न करें।
यहां पर मैच मेकिंग करवाने के बाद ही शादी के लिए करें हां
देवी पार्वती
– महिलाओं को देवी पार्वती के मंत्र ‘ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः, ऊँ गौरये नमः’ का जाप करना चाहिए। इस मंत्र से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं और वैवाहिक सुख का आशीर्वाद देती हैं।
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शिवलिंग का दर्शन
– शिवलिंग का दर्शन दंपत्ति एकसाथ करते हैं तो शादी की पहली वर्षगांठ तक संतान प्राप्ति का विचार न करें।
आपके जीवन की हर परेशानी का हल है इसमें
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