पितृदोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष से पीडित जातक कर्ज के नीचे बुरी तरह से फंस जाता है और इससे बाहर निकल पाना उसके लिए नामुमकिन सा होता जाता है।
जन्म कुंडली में नवम् घर में सूर्य और राहु की युति बनने पर पितृ दोष योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और राहु जिस भी ग्रह में बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं।
नौवां घर धर्म का होता है, इसे पिता का घर भी कहा जाता है। यदि नौंवा घर खराब ग्रहों से ग्रसित हो तो यह पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं का सूचक है। इसे ही पितृदोष कहा जाता है।
आती हैं ये परेशानियां
पितृदोष के कारण जातक को आर्थिक रूप से और निजी जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार पितृदोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक संबंधों में अशांति, घर में कलह और मानसिक पीड़ा होती है।
जातक का जीवन विभिन्न प्रकार की समस्याओं से घिर जाता है। परिवार में अशांति का माहौल रहता है। पितृदोष से पीडित जातक की उन्नति में बाधा आती है। इस अवस्था में आर्थिक कष्ट के साथ-साथ मानसिक क्लेश भी रहता है।
पितृदोष का कारण
यदि आपके द्वारा किसी ब्राह्मण अथवा कुलगुरू का अपमान किया गया हो तो आपको पितृदोष लग सकता है। गोहत्या के कारण भी यह दोष आपको जकड़ सकता है। इसके अलावा पितरों को जल अर्पित न करने के कारण भी आपको पितृदोष लग सकता है।
पितृदोष के लक्षण
जो घर पितृदोष से ग्रसित हो वहां पुरूष सदस्यों की संख्या में कमी आने लगती है। पारिवारिक कलह में बढ़ोत्तरी होती है। संतान पक्ष को हानि होती है और बुजुर्गों का अपमान किया जाता है।
विवाह में देरी होती है और संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती हैं। पैसों में बरकत नहीं आती और घर की दीवारों में हमेशा टूट-फूट एवं सीलन रहती है। ऐसे घरों में सूर्य की रोशनी कम पड़ती है।
यदि घर में मास-मदिरा का सेवन किया जाता है तो ऐसी स्थिति में पितृदोष होने पर परिवार के सदस्यों को अत्यधिक कष्ट झेलने पड़ते हैं।
पित्रदोष के उपाय
यदि आपकी कुंडली में पितृदोष योग बन रहा हो तो घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने किसी स्वर्गीय परिवारजन की तस्वीर लगाएं। इस तस्वीर पर नियमित हार चढ़ाएं और इसकी पूजा करें। कहते हैं पूर्वजों के आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
परिवार में यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उनकी निर्वाण तिथि पर ब्राह्मण अथवा किसी गरीब को भोजन कराएं। इस दिन भोजन में मृतात्मा की पसंद का कम से कम कोई एक व्यंजन अवश्य ही बनाएं।
इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों को वस्त्र और अन्न का दान देने से भी लाभ मिलता है।
नियमित 21 सोमवार तक प्रात: नंगे पैर शिव मंदिर जाएं और आक के 21 फूल, कच्ची लस्सी और बिल्व पत्र से भगवान शिव की पूजा करें। इस उपाय से अवश्य ही लाभ होगा।
प्रतिदिन अपने ईष्ट देवता की पूजा करें और घर में दीया जलाएं।
विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भावगवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।
अगर आपके जीवन में इस तरह की कोई भी परेशानी आ रही है या आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो आप इसके निवारण के लिए AstroVidhi के ज्योतिषाचार्य से संपर्क कर सकते हैं।
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