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ज्‍योतिष के अनुसार ये होना चाहिए बच्‍चे के जन्‍म का सही समय

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प्राचीन समय से ही शिशु के जन्‍म लेने के बाद उसके जन्‍म के समय के आधार पर उसकी कुंडली का निर्माण किया जाता है। भविष्‍य के बारे में जानने के लिए बच्‍चे का जन्‍म समय ज्ञात होना बहुत जरूरी होता है।

भारतीय ज्‍योतिष शास्‍त्र में बच्‍चे के जन्‍म का समय बहुत महत्‍वपूर्ण होता है। भारतीय ज्‍योतिष अनुसार बच्‍चे की जन्‍म तिथि के साथ उसके जन्‍म का समय भी ज्ञात होना बहुत आवश्‍यक होता है। जिस बच्‍चे के जन्‍म का समय ज्ञात नहीं होता उसकी कुंडली बना पाना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए अक्षांश, रेखांश, जन्‍म तिथि के निर्धारण के बाद बच्‍चे के जन्‍म समय का सही निर्धारण करना चाहिए।

बच्‍चे का जन्‍म समय ज्ञात ना होने का नुकसान

आमतौर पर देखा गया कि बच्‍चे के जन्‍म लेने पर लोगों को तिथि तो याद रहती है लेकिन जन्‍म समय वो नोट नहीं कर पाते हैं। अनुमानित जन्‍म समय के आधार पर कुंडली बनाना दुष्‍कर व भ्रम जैसा होता है और इससे ग्रहों की चाल को निर्धारण की प्रक्रिया पर प्रमाणित करना कठिन होता है।

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बच्‍चे का जन्‍म समय निर्धारित करने के नियम

आइए जानते हैं कि बच्‍चे का जन्‍म समय निर्धारित कैसे किया जाना चाहिए।

  • जब किसी शिशु का कोई भी अंग बाहर दिखे तो वही उसके जन्‍म का समय माना जाता है।
  • इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है कि जब शिशु पूरी तरह से बाहर आ जाए वही उसका जन्‍म समय होता है।
  • कुछ लोगों ये मत भी है कि शिशु के बाहर आने के बाद रोने पर ही उसका जन्‍म समय निर्धारित होना चाहिए।
  • जब शिशु की नाल काटकर उसे अपनी मां से पूरी तरह से अलग कर दिया जाता है तो उस समय को बच्‍चे का जन्‍म समय मानना चाहिए।

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ऊपर बताए गए चार विकल्‍पों में से किसी एक को मानने पर भी बच्‍चे के जन्‍म समय को लेकर भ्रम तो बना ही रहेगा। कई विद्वान शिशु के रोने की आवाज़ के समय को उसके जन्‍म का समय कहते हैं लेकिन अगर किसी वजह से जन्‍म लेने के बाद बच्‍चा कुछ समय के लिए ना रोए तो नाल काटने के समय को बच्‍चे का जन्‍म समय कहा जाता है।

इन दोनों तथ्‍यों में से सबसे उपयुक्‍त और तर्कसंगत जनम समय वह है जिसमें शिश की नाल काटकर अलग की जाती है। नाल काटने के बाद ही शिशु का स्‍वतंत्र अस्तित्‍व बनता है और सही उसके जन्‍म का समय भी होना चाहिए। अधिकतर विद्वान भी इसी मत को सही मानते हैं। नाल काटने के समय को जरूर नोट करना चाहिए।

कुंडली बनाने के लिए इस प्रकार के जन्‍म समय की आवश्‍यकता होती है। बच्‍चे के जन्‍म समय के ज्ञात ना होने परर कुंडली का निर्माण परेशानी व मानसिक परेशानी का कारण बन सकता है।

 

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