Quantcast
Channel: AstroVidhi
Viewing all articles
Browse latest Browse all 2077

इस वर्ष शरद पूर्णिमा व्रत कब है? जाने इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

$
0
0

शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा आरम्भ – 13 अक्टूबर 2019 को 12:38:45 से

पूर्णिमा समाप्त -14 अक्टूबर 2019 को 02:39:58 बजे तक

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा के नाम से हम जानते है। यह पूर्णिमा 13 अक्टूबर 2019 रविवार के दिन मनाई जायेगी। इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे कौमुदी व्रत तो कुछ क्षेत्रों में कोजागिरी पूर्णिमा कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं का होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत के समान मानी जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरा की रात भी कहा गया है, इसका अर्थ होता है कौन जाग रहा है, कहते है इस रात को देवी लक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट हुई थी, इसलिए इसे देवी लक्ष्मी का जन्मदिन भी कहा जाता है। अपने जन्मदिन पर लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए जाती है। इस रात लक्ष्मी की पूजा कौड़ी से करने से लक्ष्मी की असीम कृपा जातक को मिलती है। इस दिन चंद्रमा तथा भगवान विष्णु का पूजन, व्रत कथा की जाती है, इस दिन व्रत करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती है तथा धन -धान्य, मान-सम्मान और सुख प्रदान करती है।

 

Sharad Purnima 2019

शरद पूर्णिमा का महत्व

कहते है इस दिन कोई व्यक्ति किसी अनुष्ठान को करें, तो उसका अनुष्ठान अवश्य सफलता पूर्वक पूर्ण होता है। इस दिन की मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन गोपियों के साथ महारास रचा था। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होने की किवदंती प्रसिद्ध है। इसी कारण इस दिन दूध की खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात:काल में खाने का विधान है। यह पूर्णिमा सब पूर्णिमा में सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। यह आरोग्य हेतु फलदायी होती है। मध्य तथा उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा की रात को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है, लोगों की यह श्रद्धा होती है की चन्द्र की किरणें खीर पर पड़ने से खीर अमृत समान गुणकारी तथा लाभकारी हो जाती है।

शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

  • शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में विशेष सेवा-पूजा का आयोजन किया जाता है। इस शुभ अवसर पर प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और पवित्र नदी, जलाशय या सरोवर में स्नान करे तथा अपने इष्ट देव का पूजन करें।
  • अपने आराध्य देवता को सुंदर वस्त्र, आभूषण पहनाये और पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करें।
  • रात्रि के समय गाय के दूध से बनी खीर में घी और चीनी मिलाकर आधी रात के समय भगवान को भोग लगाए तत्पश्चात ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए, उन्हें दान-दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।

अभी अभिमंत्रित लहसुनिया रत्न प्राप्त करें

  • दूध की खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात:काल में प्रसाद बांटे।
  • पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुननी चाहिए तथा कथा से पूर्व एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली और चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएं।
  • लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से किया जाता है, इस दिन जागरण करनेवालों भक्तों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। 

संबधित अधिक जानकारी और दैनिक राशिफल पढने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को Like और Follow करें : Astrologer on Facebook

The post इस वर्ष शरद पूर्णिमा व्रत कब है? जाने इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त appeared first on AstroVidhi.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 2077

Trending Articles