रत्न कई प्रकार के होते हैं, आज हम आपको बताने जा रहे हैं की लाजवर्त क्या हैं, इसे लैपिस लजुली क्यों कहा जाता है। इसके क्या फायदे हैं और इसका सम्बन्ध किस ग्रह से होता हैं।
लाजवर्त
गाढ़े नीले रंग का ये रत्न अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इसमें नीले रंग के साथ कुछ मिनरल डिपोजिशन भी होता है। लाजवर्त नाम का एक पत्थर भी होता हैं। लाजवर्त रत्न का रंग मयूर की गर्दन की तरह नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम बारीक कणों से युक्त होता हैं। राहू, केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रहों को एकसाथ शांत करने के लिए लाजवर्त धारण किया जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है या राहू-केतु की वजह से कोई समस्या आ रही है तो आपको लाजवर्त रत्न धारण करने से इनसे संबंधित सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
लाजवर्त को धारण करने के लाभ
1- लाजवर्त पत्थर तीनों ग्रह न्याय के देवता शनि और छाया ग्रह राहु केतु के दोषों और बुरे प्रभावों को भी खत्म करता हैं। इसके प्रभाव से धारणकर्ता का दुर्घटनाओं से बचाव होता हैं।
2- लाजवर्त के प्रभाव से काला जादू और जादू टोना आदि से छुटकारा मिल सकता हैं।
3- नौकरी या व्यापार में आ रही अड़चनों और पितृ दोष को भी इस रत्न से दूर किया जा सकता है।
4- घर में बरकत नहीं हो रही है या धन से संबंधित कोई नुकसान होता रहता है तो भी आप लैपिस लजुली को पहन सकते हैं। ये धन हानि से भी बचाता है।
5-डिप्रेशन और तनाव को दूर करने के लिए आप लाजवर्त धारण कर सकते हैं।
6- इस चमत्कारिक रत्न को सच्चाई का प्रतीक माना गया है। याद्दाश्त बढ़ाने के लिए भी इस रत्न को धारण किया जा सकता है। बच्चों के स्टडी रूम में इसे रखने से उन्हें पढ़ाई में मदद मिलती है।
7- गले या आवाज़ से संबंधित रोगों में भी जैपिस लजुली फायदा पहुंचाता है। लाजवर्त पत्रकार, एग्जक्यूटिव और साइकोलॉजिस्ट आदि पहन सकते हैं।
8-लैपिस लजुली को शनि का उपरत्न माना गया है और धनु राशि के लोग इस रत्न को धारण कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो भी आप इसे धारण कर सकते हैं।
9- इसके अलावा बुरी नज़र, काला जादू या दुर्भाग्य को दूर कर सफलता पाने में भी ये रत्न मदद करता है।
10- वास्तुदोष या किसी तरह के जादू-टोने से मुक्ति पाने के लिए भी लाजवर्त को धारण करने से लाभ होता है। केतु या राहू की महादशा या अंर्तदशा चल रही है तो भी आपको ये रत्न पहनने से लाभ होगा।
लाजवर्त की धारण विधि
चूंकि ये शनि का उपरत्न है इसलिए आपको इसे शनिवार के दिन ही धारण करना चाहिए। इस रत्न को आप चांदी की अंगूठी या लॉकेट में पहन सकते हैं। इस रत्न को सीधे हाथ ही मध्यमा ऊंगली में धारण करनी चाहिए। धारण करने से पूर्व इस रत्न की अंगूठी या लॉकेट को सरसों या तिल के तेल में 4 घंटे डुबोकर रखें। इसके बाद रत्न को किसी नीले रंग के वस्त्र पर रखें। अब ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: मंत्र का 108 बार जाप करें और धूप-नैवेद्य आदि दें। इसके पश्चात् आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
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