कार्तिक मास
धर्मशास्त्रों में कार्तिक मास का अत्यंत महत्व है। भगवान कृष्ण को कार्तिक मास अतिप्रिय है। शास्त्रों में कार्तिक मास को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाला माना गया है। तुला राशि पर सूर्यनारायण के आते ही कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है। इस मास में कुछ शुभ कार्य एवं उपाय करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और आपको पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि कार्तिक मास में क्या करना चाहिए -:
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ऐसे करें पुण्य प्राप्त
– कार्तिक मास में शुद्ध घी, तिलों के तेल और सरसों के तेल का दीपक जलाने से अश्वमेघ यज्ञ जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस माह में दीपदान करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
– कार्तिम माह में तुलसी का पूजन और सेवन करने से घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी की कृपा से आपके घर से नकारात्मक शक्ति दूर रहती है।
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ब्रह्मचर्य का पालन
– मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है भूमि। भूमि पर सोने से जीवन से विलासिता दूर होती है और सादगी का आगमन होता है। सेहत और मानसिक विकारों को दूर करने के लिए भी जमीन पर सोना बेहतर माना गया है।
– कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए काम-विकार न करें। ब्रह्म में लीन होना ब्रह्मचर्य है। जो व्यक्ति आत्मा में रमन करता है वही ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है।
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इनका करें त्याग
– कार्तिक मास में उड़द, मसूर, करेला, बैंगन और हरी सब्जियां आदि भारी चीजों का त्याग करना चाहिए।
– इसके अलावा आंवले के फल व तुलसी-दल मिश्रित जल से स्नान करें तो गंगा स्नान के समान पुण्य लाभ होता है।
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