देवप्रबोधिनी एकादशी
10 नवंबर 2016 को तुलसी विवाह यानि देवप्रबोधिनी एकादशी है। माना जाता है कि इस दिन भग्वान विष्णु नींद से जागते हैं और इसी तिथि से विवाह जैसे मांगलिक और शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं। इस एकादशी पर तुलसी पूजन और तुलसी विवाह करने की विशेष परंपरा है। आज हम आपको पवित्र तुलसी से संबंधित कुछ नियमों के बारे में बताएंगें।
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इस दिन न तोड़ें
– तुलसी के पत्ते एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्रग्रहण में या रात के समय नहीं तोड़ना चाहिए। बेवजह तुलसी के पत्ते तोड़ने से पाप लगता है।
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इस समय करें पूजा
– शाम के समय तुलसी के आगे दीपक जलाने से आपके घर में सदा मां लक्ष्मी का वास होता है।
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पत्ते न चबाएं
– तुलसी के पत्तों को कभी भी चबाना नहीं चाहिए। इन्हें निगलना चाहिए। कहते हैं कि तुलसी में पारा धातु होता है जो हमारे दांतों के लिए अच्छा नहीं होता। तुलसी के सेवन से कई रोगों में लाभ मिलता है।
– भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था जिस कारण कभी भी शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
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जब मुरझा जाए पौधा
– यदि तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी, तालाब या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। तुलसी का मुरझाया पौधा रखना अशुभ माना जाता है।
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