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जानें क्‍या होता है जब कुंडली में बनता है ‘मोक्ष योग’

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मोक्ष

हिंदू धर्म में प्रत्येक जीव व मानव का अंतिम लक्ष्य मोक्ष माना गया है। मोक्ष वह अवस्था है जिस में जाकर व्यक्ति की अन्य कोई इच्छा शेष नहीं रह जाती। यह सर्वश्रेष्ट अवस्था सभी इच्छाओं की चरम अवस्था है। हिंदू धर्म में माना जाता है की जो जीव या आत्मा इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है वह जीवन व मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।

मृत्यु व जन्म के भेद को मिटाने वाला

मोक्ष का अर्थ है मुक्ति। यह योग जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त करता है। मुक्ति का तात्पर्य प्रत्येक इच्छा से है। मोक्ष आत्मा और परमात्मा के एकीकरण को दर्शाता है। हिंदू धर्म ग्रंथ के सभी वेद-पुराण व धार्मिक ग्रंथ का सार मोक्ष की प्राप्ती से है। सभी ग्रंथों ने मोक्ष को अंतिम व सबसे बडा लक्ष्य माना है। इस योग के प्रभाव से  जातक के कर्म शुभ होते है तथा जातक के मन में वैराग्य के भाव बने रहते है।

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मोक्ष की ओर ले जाने वाले ग्रह

ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को सद मार्गों की ओर प्रेरित करता है। ग्रहों में गुरु सर्वाधिक शुभ ग्रह है। गुरु का प्रभाव व्यक्ति को हमेशा गलत मार्गों से जाने से रोकता है। जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु मजबूत अवस्था गत हो वह जातक अत्यधिक मान सम्मान प्राप्त करने वाला तथा सदबुद्धि वाला होता है।

केतु

गुरु के समान केतु भी अध्यात्म के मार्ग में लेकर जाने वाला होता है। दोनों में अंतर इतना है की जहां गुरु प्रेम से उचित मार्ग देता है वही केतु डंडे के भय से सही मार्ग पर लेकर जाने वाला ग्रह है।

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भगवान की कितनी कृपा बताता है 

मोक्ष योग भगवान की कृपा को दर्शाता है। जिस जातक की पत्रिका में यह योग होता है वह ईश्वर को अपने पास महसूस कर सकता है। ऐसे जातक के जीवन में अनेक बार विषम परिस्थिति आती है लेकिन वह प्रत्येक विषम परिस्थिति को सहता हुआ आगे बढ जाता है।

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