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कुंडली में सूर्य की खराबी के कारण होते हैं आँखों के विकार, जानिए समाधान

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आँखे मनुष्य को ईश्वर द्वारा मिलने वाला सबसे हसीन तोहफा हैं, इसे दीर्घ काल तक संजोये रखना कई बार कठीन होता हैं, किसी न किसी कारणवश आँखों में बारबार विकार उत्पन्न हो जाते हैं, दिक्कते आती हैं और इसके पीछे का मुख्य कारण सूर्य का कुंडली में अशुभ होना होता हैं।

सूर्य अगर कुंडली में कमजोर है, तो उसका विपरीत परिणाम आँखों पर पड़ता है, आँखों की रोशनी या आँखों से सम्बंधित बिमारियों का सामना जातक को निश्चित रूप से करना पड़ता है, अगर आप भी इस तरह आँखों की समस्याओं से जूझ रहे है, तो आज हम आपको इसका समाधान बताने जा रही हैं और वो हैं माणिक रत्न।  माणिक धारण करने से आँखों से सम्बंधित दिक्कते काफी हद तक ख़त्म हो जाती है।

Janam Kundali

माणिक्‍य का रंग लाल होता है एवं यह सूर्य के लिए पहना जाता है। इसमें एल्‍युमीनियम ऑक्‍साइड मुख्य तत्व होता है। अगर कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो तो जातक को यह रत्‍न पहनने की सलाह दी जाती है।

यह सूर्य का रत्‍न सूर्य से संबंधित दोष दूर करने के लिए ही पहना जाता है। सूर्य देव का सम्बन्ध आँखों से होता हैं और अगर आपको अपने जीवन में बहुत प्रयास करने के बाद भी आँखों में किसी न किसी प्रकार की दिक्कते आ रही हैं तो यह निश्चित हैं की आपकी कुंडली में सूर्य दोष हो सकता है।

सूर्य दोष से मुक्‍ति के लिए या सूर्य को कुंडली में मजबूत बनाने के लिए आप माणिक्‍य रत्‍न पहन सकते हैं। ये चमत्‍कारी रत्‍न आपको न केवल सफलता देता है बल्कि जीवन में अन्धकार से आपको बचाता हैं और आँखों की पीड़ा से मुक्ति दिलाता हैं, अक्सर देखा गया हैं की जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य दोष होता हैं उसे आँखों के विकार अवश्य होते हैं, यहाँ तक की कितना ही डॉक्टरी उपचार किया जाए तब भी उसे अँधा होने से कोई बचा नहीं पात्गा इसलिए सूर्य को बल प्रदान करने के लिए सूर्य का रत्न माणिक्‍य अवश्य धारण करना चाहिए।

माणिक्‍य रत्‍न के अन्य लाभ

इसको पहनने से ओझ, आत्मबल बढता है, हड्डियों की कमजोरी दूर होती है, त्वचा की परेशानी ठीक होती है, आँखो की परेशानी दूर होती है, चेहरे में तेज आता है, शरिर मे ताकत आती है, आलस दूर होता है, मान सम्मान व प्रतिष्ठा बढती है, सरकारी नौकरी में फायदा होता है, सरकार द्वारा उच्च पद की प्राप्ति मिलती है, इच्छा शक्ति बढती है, आत्मविश्वास आता है।

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किसे है माणिक्‍य पहनने की जरूरत 

बारहवें भाव में सूर्य हो तो आँखों के लिए समस्या उत्पन्न होती है, अंधत्व भी आ सकता हैं, ऐसे में अगर माणिक्य धारण किया जाएँ तो आँखों से सम्बंधित दिक्कते दूर होती है। अगर कुंडली मे सूर्य परिवार के भाव 2 तथा 4 भाव में हो तो आप यह रत्‍न न पहनें क्योंकि ये परिवार व घर सम्बंधी परेशानी देता है, सुख में कमी करता है और 6, 8, 12 भाव का स्वामी हो 3 ,7, 8 भाव में सूर्य बैठा हो या नीच का हो तब भी यह नही पहनना चाहिए। हाथ में सूर्य पर्वत पर कटी व तिरछी रेखा हो, तिल हो या धब्बा हो तो ये रत्न पहन सकते हैं। सूर्य 1, 2, 5, 9, 10, 11 भाव का स्वामी हो तब यह रत्न पहन सकते हैं। यदि सूर्य भाग्येश और धनेश होकर छठे या आठवें भाव में बैठे हो तो माणिक्य धारण करना लाभदायक होता है।

माणिक्‍य की पहचान 

माणिक्‍य की पहचान है कि इसे आर-पार से निकलती किरणें दिखाई देती हैं। यह रत्‍न पारदर्शी और साफ चमकदार होता है। इसको आप अपनी आँखों की समस्या से निजात पाने के लिए. आत्मबल को बढाने के लिए, सरकारी नौकरी पाने के लिए, मान प्रतिष्ठा पाने के लिए, पिता का सुख पाने के लिए, प्रशासनिक सेवा से लाभ, राजनीति में सफलता, उच्च पद अधिकारी,अच्छी सेहत, जोश व ह्रदय को मजबूत बनाता है।

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